Sunanda Aswal

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वार्षिक प्रतियोगिता हेतु कविताएं

विधा: कविता
शीर्षक : चाय और सर्दी


कोहरा -कोहरा ढकी दूर तक राहें,
सर्दियों के मौसम ने खोली बाहें ..!

लागी कंपकंपी बैरी ठिठुरन अंग जमाए ,
दांत कटकट,निढाल ऋतु सर झुकाए   ..!

शीत लहर का असर बेकाबू हुआ,
सर्द हवा ने नश्तर सा कानों को छुआ ..!

याद हो आया , गर्माहट का गर्म छोर ,
केतली पर अंगीठी सुलगे लाल अंगार ..!

जल रही भट्टी ,भागे मन उस ओर
अहसास गर्माहट का चाय की प्यार सी डोर..!

चाय एक घूंट हलक से उतारा ,
जैसे सर्द गर्माहट से आस का प्याला ..!

दिन -रात जमते रिश्तों का सच ,
थोड़ी गर्माहट और चाय बात संगत  ..!

ढाबा , रेस्टोरेंट ,होटल , घर या बहार ,
चाय उढ़ेलती रिश्तों का सौंधा प्यार ..!


कप, कुल्हड़ ,प्याला शौक अंदाज निराला,

सर्द सर्द मौसम में चाय का दीवाना ..!


सर्द रातें में भट्टी सुलग रही ,राख बुझ रही है,
मौसमी ठंड से लड़ रही ,भोर को ताक रही है ..!


#लेखनी
#लेखनी काव्य
#लेखनी काव्य संग्रह

सुनंदा ☺️







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2 Comments

Swati chourasia

05-Mar-2022 07:57 PM

Very beautiful 👌

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Inayat

05-Mar-2022 06:13 PM

बेहतरीन

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